Shiv chaisa - An Overview
Shiv chaisa - An Overview
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एक कमल प्रभु राखेउ जोई। कमल नयन पूजन चहं सोई॥
किया तपहिं भागीरथ भारी। पुरब प्रतिज्ञा तसु पुरारी॥
करत सदा शत्रुन क्षयकारी ॥ नन्दि गणेश सोहै तहँ कैसे ।
लै त्रिशूल शत्रुन को मारो। संकट से मोहि आन उबारो॥
अथ श्री बृहस्पतिवार व्रत कथा
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अर्थ: आपके सानिध्य में नंदी व गणेश सागर के बीच खिले कमल के समान दिखाई देते हैं। कार्तिकेय व अन्य गणों की उपस्थिति से आपकी छवि ऐसी बनती है, जिसका वर्णन more info कोई नहीं कर सकता।
नमो नमो दुर्गे सुख करनी। नमो नमो दुर्गे दुःख हरनी॥ निरंकार है ज्योति तुम्हारी। तिहूँ लोक फैली उजियारी॥
नमो नमो जय नमः शिवाय। सुर ब्रह्मादिक पार न पाय॥
अंग गौर शिर गंग बहाये। मुण्डमाल तन क्षार लगाए॥
त्रयोदशी व्रत करै हमेशा। ताके तन नहीं रहै कलेशा॥
त्रयोदशी ब्रत करे हमेशा। तन shiv chalisa in hindi नहीं ताके रहे कलेशा॥
तुरत षडानन आप पठायउ। लवनिमेष महँ मारि गिरायउ॥